"सुनो प्रियतम "
"सुनो प्रियतम "
सुनो प्रियतम,
बात चंद सिक्कों के खातों की नहीं, कुछ जज्बातों की है....
वो ज़ज्बात जो तुम कभी देख नहीं पाए।
सुनो प्रियतम,
बात बार-बार पुराने किस्सों की नहीं, कुछ नए रिश्तों की है....
जो नए रिश्तों को कोपल से निकलते तुम भाँप ना पाए।
सुनो प्रियतम,
बात सिर्फ एक इजाज़त की नहीं, कुछ सपनों की है....
जो जकड़ते गये समय के साथ और तुम बंधन देख भी ना पाए।
सुनो प्रियतम,
बात उस अल्हड़ उम्र की नहीं, कुछ पकती सोच की है....
जो तुम कच्ची उम्र के जालों से कभी निकाल ना पाए ।
सुनो प्रियतम,
बात हर बार माफ़ करने की नहीं, कुछ ओट में छिपी नाराज़गी की है....
जो मुस्कुराते होठों के पीछे तुम कभी झाँक ना पाए ।।

