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Suman Sachdeva

Abstract

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Suman Sachdeva

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सुनो ( क्या यही प्यार है )

सुनो ( क्या यही प्यार है )

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सुनो 

एक बात कहूं 

महका देते हैं मुझको

वो रंग बिरंगे गुलाब 

गेंदा, लीली, अमलतास 


जो भेजते हो तुम 

व्हाटसैप के

प्रातः संदेश के साथ

और ऐसे में

सुरभित हो उठती है

मेरी प्रभात।


सुनो

आज मैंने

तुम्हारे सुप्रभात संदेश में

रंगीन फूलों की तस्वीर को

कान लगा कर सुना 


तो धीरे से न जाने 

क्या कहा 

उन महकते हुए फूलों ने  

कि अनायास ही 

मेरे लब पे 

प्यारी सी मुस्कान आ गयी।


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