सुखी जीवन का आधार
सुखी जीवन का आधार
खेल ये मन के संकल्पों का बहुत ध्यान से खेल
बढ़ाते जाना एक दूजे संग शुद्ध विचारों का मेल
समान विचारों के बल से ही वातावरण बदलता
समस्याओं का समाधान इसी विधि से निकलता
शुभ भावना भरे संकल्पों से चरित्र बनता महान
सफलता के शिखर पर चढ़ना हो जाता आसान
नहीं होते कोई वैर विरोधी ना होता व्यर्थ विवाद
श्रेष्ठ चरित्र तब ही बनता जब होता शुद्ध संवाद
चिंता की रेखा मिटकर आती चेहरे पर मुस्कान
सुखी बनता जीवन मिटता दुख का नाम निशान
पांचों तत्व भी पावन बन जाते शुद्ध विचारों से
पतझड़ से मुक्ति पाकर परिचय होता बहारों से
शुद्ध विचार ही करते सारी दुनिया पर उपकार
शुद्ध विचार से बन जाता सुखमय सारा संसार
आज से अपने मन में शुद्ध विचार ही अपनाना
सात्विक विचार से जीवन सबका सुखी बनाना!