अच्युतं केशवं
Abstract
हिम गिरि से बढ़कर हुआ, पालीथिन गिरि श्रृंग।
सुजला सुफला दीखती,बंजर औ बदरंग।
मन आस तारा
सहज तुमने अपन...
कल लुटेरे थे ...
धूम्रपान कर ब...
छिपा हृदय निज...
उर सहयोगी भाव
भट्टी सी धरती...
अलग हो रूप रं...
आला वाले डॉक्...
भारोत्तोलन खे...
मुझे मालूम था, तुम मुझसे दूर चले जाओगे प्यार और विश्वास की बातें बस लफ़्ज़ों में निभाओगे लेकिन, मुझे मालूम था, तुम मुझसे दूर चले जाओगे प्यार और विश्वास की बातें बस लफ़्ज़ों में न...
सूरज की रौशनी में, रेत ऐसे चमकता हैजैसे बहुत सारे सोने को, चांदनी ने बटोरा हैहर जगह हमारे आस-पास, सम... सूरज की रौशनी में, रेत ऐसे चमकता हैजैसे बहुत सारे सोने को, चांदनी ने बटोरा हैहर ...
यह कविता हमारे अनेकता को दर्शाती है। हम जाती-धर्म के बंधन में बंधकर एक दूसरे को भूल जाते हैं। क्या य... यह कविता हमारे अनेकता को दर्शाती है। हम जाती-धर्म के बंधन में बंधकर एक दूसरे को ...
दो चतुष्पदी दो चतुष्पदी
यूँ न रुठुं मैं रब से, मेरा इस हाल की वजह से। मेरे हाथों में ही था मेरा यह जीवन, पर जवानी की आढ़ लुट... यूँ न रुठुं मैं रब से, मेरा इस हाल की वजह से। मेरे हाथों में ही था मेरा यह जीवन...
बहुत साल पहले की है यह बात स्मृतियों में आज की ताजी है यह। बहुत साल पहले की है यह बात स्मृतियों में आज की ताजी है यह।
कल खबर थी की तुम शहर हो गए, दिल के अरमान जो थे दिल में ही रह गए, कौन कहता है कि खो गयी है वफ़ा, हम वह... कल खबर थी की तुम शहर हो गए, दिल के अरमान जो थे दिल में ही रह गए, कौन कहता है कि ...
भयानक स्मृतियों के जंगल से बच-बचा कर उन्होंने, एक बीच की राह निकाली थी सात्वनाओं की एक नदी जहाँ उन्ह... भयानक स्मृतियों के जंगल से बच-बचा कर उन्होंने, एक बीच की राह निकाली थी सात्वनाओं...
उलझन खड़ी है,या बनी है मन पेंडुलम बन रहा, डोल जीना सच है या मरना उत्तर सच या प्रश्न। उलझन खड़ी है,या बनी है मन पेंडुलम बन रहा, डोल जीना सच है या मरना उत्तर...
यह धर्म, कर्म, नीति, राजनीति की बातों से घर में घरवाली और अपने बच्चों की बातों से न जाने क्यों अचानक... यह धर्म, कर्म, नीति, राजनीति की बातों से घर में घरवाली और अपने बच्चों की बातों स...
बिंदी लिपस्टिक चूड़ी घड़ी का शौक हमने शुरू से है पाया। बिंदी लिपस्टिक चूड़ी घड़ी का शौक हमने शुरू से है पाया।
आशा करता हुँ आप को मेरी पहली कविता पसंद आए। आशा करता हुँ आप को मेरी पहली कविता पसंद आए।
आम नहीं बहुत खास है दोस्ती एक एहसास है। आम नहीं बहुत खास है दोस्ती एक एहसास है।
मोमबत्ती जलती है, रोती है फिर भी रौशनी में तब्दील कर देती है उस अँधेरे को उजाले में, और डर भगा देत... मोमबत्ती जलती है, रोती है फिर भी रौशनी में तब्दील कर देती है उस अँधेरे को उजाल...
हर लम्हा मोती की तरह रहता है मन के खज़ाने में भर रहता है हमेशा यादों से नहीं होता खज़ाना खाली कभी... हर लम्हा मोती की तरह रहता है मन के खज़ाने में भर रहता है हमेशा यादों से नहीं हो...
यह कविता एक कवि की मानसिक पीड़ा को व्यक्त करती है... यह कविता एक कवि की मानसिक पीड़ा को व्यक्त करती है...
एक दिन उसको मेरा पुराना खत अपने खास कागजों में मिल गया। एक दिन उसको मेरा पुराना खत अपने खास कागजों में मिल गया।
काश कोई दर्द भी बाँट सकता। काश कोई दर्द भी बाँट सकता।
बदलते समय के साथ रिश्तों का बदलना स्वाभाविक है। उम्र के पड़ाव में कुछ रिश्ते छूटते हैं तो कुछ जुड़ते ह... बदलते समय के साथ रिश्तों का बदलना स्वाभाविक है। उम्र के पड़ाव में कुछ रिश्ते छूटत...
हादसों का तो क्या है वह कहीं भी हो सकते हैं। हादसों का तो क्या है वह कहीं भी हो सकते हैं।