सुबह
सुबह
चिड़ियों की चहचहाट से प्रायः उसकी नींद खुल जाती है
बालों को समेटते हुए वह खिड़की से परदे सरकाती है
आईने में अपनी छवि देख वह स्वतः मुस्काती है
ताजी हवा का झोंका आकर उसको गुदगुदा जाता है
नवप्रभात के दृश्य से उसका मन प्रफुल्लित हो जाता है
बालरवि से प्रेरणा लेकर वह धीमे धीमे स्वर में गुनगुनाती है
नवउत्साह से परिपूरित वह फिर दैनिक कार्यों में जुट जाती है
एक गृहिणी ही अपनी कोशिशों से मकान को घर बनाती है।
