स्टेशन
स्टेशन
आठ दशक पूरा करने के उपरांत
नौवें दशक में प्रवेश का
पहला दिवस
मन में प्रश्न उपजा
अब कितने वर्ष और?
उत्तर मिला
तुम वर्षों की सोच रही हो,
यहां अगले पल का पता नहीं।
कब कहां और कैसे आएगा
वह महाक्षण,
यह तो कहा नहीं जा सकता
इतना तय है
आएगा ज़रूर।
क्यों सोचना उसके बारे में?
जिस दिन घटित होना है
होना ही है।
तुम्हें कुछ विशेष नहीं,
केवल इतना करना है
जब स्टेशन आए
बिना किसी प्रतिरोध के
शांत मन से उतर जाना है।
अपने कर्मों की
पूंजी लेकर।