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Dishika Tiwari

Abstract

3.8  

Dishika Tiwari

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सतरंगी पल

सतरंगी पल

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307


वह पल...

मेरे जिंदगी के,

खूबसूरत सुंदर पल,

बचपन की वो दुनिया,

ना जाने किसने लिखी थी,

नन्ही सी मैं इस दुनिया से मिली थी, 

मां बाबा ने प्यार दिया साथ,

खुशियों का भंडार दिया,

पाला पोसा बड़ा किया,

उंगली पकड़कर,

पैरों पर चलना सिखा दिया,

नहीं भूल पाऊंगी,

इन पलों को,

जो मेरे दिल के इतने करीब हैं!



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