STORYMIRROR

Dishika Tiwari

Abstract

3  

Dishika Tiwari

Abstract

सतरंगी पल

सतरंगी पल

1 min
281

वह पल...

मेरे जिंदगी के,

खूबसूरत सुंदर पल,

बचपन की वो दुनिया,

ना जाने किसने लिखी थी,

नन्ही सी मैं इस दुनिया से मिली थी, 

मां बाबा ने प्यार दिया साथ,

खुशियों का भंडार दिया,

पाला पोसा बड़ा किया,

उंगली पकड़कर,

पैरों पर चलना सिखा दिया,

नहीं भूल पाऊंगी,

इन पलों को,

जो मेरे दिल के इतने करीब हैं!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract