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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Children Stories Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Children Stories Inspirational

सतरंगी फूलों से सजाऊॅं

सतरंगी फूलों से सजाऊॅं

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मनहर मेरे पास तो आओ , बात बताऊॅं काम की ।

सतरंगी फूलों से सजाऊॅं , महफ़िल तेरे नाम की ।।


अंतस्तल भी भीग गया है, मौसम देखो रीझ गया है l

 वैरागी बन कब-तक घूमें, रीतापन अब तीख गया है ll


आगे बढ़ूॅं फिर अंक समाऊॅं , राह यही सुखधाम की ।

रिश्ते-नाते सब बेमानी , घर-घर गूंजे एक कहानी ll


गांठी दाम जभी हो सेवा , दुनिया सारी बने दीवानी सच्ची l

कहूॅं तुम्हें ये बताऊॅं , कीमत कहीं न राम की ।। 


सदा कीच में खिले-खिले से इक-दूजे में मिले-जुले l

सेहॅंसी-मसखरी भूले -बिसरे भूकंपों में हिले-डुले से कैसे ?


आंख से आंख मिलाऊॅं , राग ताम की झाम की ।

 प्यास बुझे ना खारे जल से आस जगे ना हारे पल से ll


घुट-घुटकर मरना -जीना क्या कल-कल का कल ही है l

कल सेबीते हुए पर शोक मनाऊॅं , घटी घड़ी किस नाम की ।। 

रॅंगूॅं तुम्हारे रंग में प्रियतम गाऊॅं 'मधुरस' भर-भर सरगमडोरे l

लाल नयन में डोलें ढुरकें जब बन जायें जम-जम ll


छत्तिस तजूॅं तिरसठ बन जाऊॅं , रेखा खिंचे विराम की ।। 

मनहर मेरे पास तो आओ , बात बताऊॅं काम की ।


सतरंगी फूलों से सजाऊॅं , महफ़िल तेरे नाम की ।।       


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