सतरंगी फूलों से सजाऊॅं
सतरंगी फूलों से सजाऊॅं
मनहर मेरे पास तो आओ , बात बताऊॅं काम की ।
सतरंगी फूलों से सजाऊॅं , महफ़िल तेरे नाम की ।।
अंतस्तल भी भीग गया है, मौसम देखो रीझ गया है l
वैरागी बन कब-तक घूमें, रीतापन अब तीख गया है ll
आगे बढ़ूॅं फिर अंक समाऊॅं , राह यही सुखधाम की ।
रिश्ते-नाते सब बेमानी , घर-घर गूंजे एक कहानी ll
गांठी दाम जभी हो सेवा , दुनिया सारी बने दीवानी सच्ची l
कहूॅं तुम्हें ये बताऊॅं , कीमत कहीं न राम की ।।
सदा कीच में खिले-खिले से इक-दूजे में मिले-जुले l
सेहॅंसी-मसखरी भूले -बिसरे भूकंपों में हिले-डुले से कैसे ?
आंख से आंख मिलाऊॅं , राग ताम की झाम की ।
प्यास बुझे ना खारे जल से आस जगे ना हारे पल से ll
घुट-घुटकर मरना -जीना क्या कल-कल का कल ही है l
कल सेबीते हुए पर शोक मनाऊॅं , घटी घड़ी किस नाम की ।।
रॅंगूॅं तुम्हारे रंग में प्रियतम गाऊॅं 'मधुरस' भर-भर सरगमडोरे l
लाल नयन में डोलें ढुरकें जब बन जायें जम-जम ll
छत्तिस तजूॅं तिरसठ बन जाऊॅं , रेखा खिंचे विराम की ।।
मनहर मेरे पास तो आओ , बात बताऊॅं काम की ।
सतरंगी फूलों से सजाऊॅं , महफ़िल तेरे नाम की ।।
