सरस
सरस
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क्या है सरस इस दुनिया में,
तन का सुख या मन का सुख है ?
क्या है सरस इस दुनिया में,
अपना सुख या उसका दुःख है ?
सुखमय जीवन की चाहत में,
फिरता है मन मारा-मारा।
आसमान में उड़ता रहता,
पक्षी बलगर जीव बिचारा।
षणयंत्रो का जाल बिछा है,
इंसानों की बस्ती में।
गली-गली में फिरता रहता,
बन पाक लुटेरा मस्ती में।
लुटने वाला रोता रहता,
जो लूटे वो मस्ती में।
कहाँ सुंकू है इस दुनिया में,
हस्ती में या कश्ती में ?