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Bhunesh Chaurasia

Comedy Tragedy

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Bhunesh Chaurasia

Comedy Tragedy

सरकारी अस्पताल

सरकारी अस्पताल

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ई सरकारी अस्पताल ह बड़ा बुरा हाल ह

एक बार बीमार पड़े जेब में फुटी कौड़ी न थी

संग बस मजबूरी थी झोला उठा चल दिए

सरकारी अस्पताल

अन्दर से बाहर तक बस गरीब मजलूमों की

लाइन पर लाइन

अपन भी लाइन में लग गया

कुछ लोग बोले

सरकारी अस्पताल है तो क्या?

यहां अच्छा इलाज होता है मुफ्त दवा मिलती है

डाक्टर अपने ऑफिस में फोन पर बतिया रहा था

रो रहा था गा रहा था

सालों ने जीना हराम कर रखा है एक को देखता हूं तो दूसरा आ जाता है

जब ड्यूटी पर तैनात होता हूं भगवान कसम मूतने की भी

फुर्सत नहीं मिलती

अस्पताल में बस पर्चे पर लिखी दवा मिलती है

मेरा भाग्य अच्छा था उसी दिन नंबर आ गया था

बरना लोग कई कई दिन चक्कर लगाते हैं जैसे मंदिर की परिक्रमा करते हैं 

मैं डाक्टर के सामने था जिसने अभी अभी फोन कट किया था

पूछा क्या हुआ है?

जी टांग में कई दिनों से दर्द है चलने फिरने में बड़ी कठिनाई है

मुझे देखने के बाद बिना चेक किए ही पर्चे पर कुछ लिखा

सामने काउंटर से दवा ले लो जल्दी ठीक हो जाओगे 

तभी फोन बजा अच्छा अच्छा शर्मा जी और सब खैरियत

ये सुनकर अपन का तो बुरा हाल था 

अब मैं दवाई वाले काउंटर पर था

महज़ तीन दवा लिखी गई थी एक मिल गया 

दो दवाई के लिए

काउंटर पर दवा देने वाले ने कहा भैय्या ये बाहर से ले लेना

मैं ने कहा बाकी दो दवा किस चीज की है

बोले देखने से पता चल रहा है आपके अन्दर बहुत कमजोरी है

विटामिन की कमी है थोड़ा खुराक बढ़ाइए

कुछ साॅलिड पदार्थ खाइये

मेरी हंसी छूटती इससे पहले संभल गया

तभी पीठ पीछे खड़ा आदमी चिल्लाया

भाई काम हो गया तो आगे बढ़ो

लंच होने वाला है

डेग भरते मैं वहां से चल दिया

शुक्र ये कि दर्द वाली दवा मिल गई

फिलहाल ठीक हूँ

अस्पताल और डाक्टर का क्या?

वे वहीं रहेंगे मुझे तो

रोज चलना है

बीमार होना है।



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