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Bhunesh Chaurasia

Abstract

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Bhunesh Chaurasia

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चाँद कविता

चाँद कविता

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लेखक लेखिकाओं ने

चाँद के साथ इतना

अन्याय किया है कि

क्या बताऊं एक दिन

दुःखी होकर चाँद 

रात के समय

मेरे घर आ गया

मैंने कहा क्या हुआ?


वो बोला अब क्या बताऊं भईये

किसी ने अपनी कल्पना में

मुझे धरती पर उतार दिया

तो किसी ने अपनी मुट्ठी में

कैद कर लिया

किसी ने मुझे देखकर

अपनी मां से बोला

मां मुझे चाँद के जैसा

कुर्ता सिलवा दो

अब मैं दुःखी न होऊँ

तो क्या करूँ


मैंने कहा ठंड रख

एक बात गांठ बांध लो

बिना एफ आई आर के

न्यायालय से जैसे

न्याय नहीं मिलता

वैसे ही अब जब कोई

लेखक लेखिका

तुम्हारे बारे में कुछ लिखे तो

उसे चेतावनी देते हुए कहना

दम है तो सूरज को

मुट्ठी में कैद करके

दिखाओ अन्यथा मेरे बारे में

लिखना भूल जाओ

इतना सुनकर चाँद

पुनः पृथ्वी की कक्षा में चला गया।



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