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PRATAP CHAUHAN

Inspirational

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PRATAP CHAUHAN

Inspirational

सृजनी

सृजनी

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जननी, जग मानस सृजनी,

तुम सृष्टि सत्य समागम हो ।


वेदों में लिखा जो कुछ देखा

तुम ही ब्रह्मांड का वर्णन हो ॥

कण कण में प्रति छाया देखी ,

तुम ही भवप्रीता सुरेखा हो।


दिखता नहीं जो भी नजरों से ,

तुम वही सत्य अनदेखा हो॥



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