सरहदें दरमियाँ
सरहदें दरमियाँ
ये एक ज़रिया है मेरी तलब का तुम्हारे लिए,
ये दरिया है चाहत की प्यास को तरसता हुआ।
ये ग़र मिट भी गयी तो कसक मिट जाएगी,
मेरी इस प्यास की एहमियत घाट जाएगी,
रहदें ही तो है रहने दो इनको दरमियाँ।
एक मुद्दा है ये हमारी तकरार का,
एक शोर है ये हमारे पोशीदा से प्यार का।
एक रोज़ ये मिटा दी जाएगी परवाह ना कर,
जिस रोज़ तेरी क़ब्र सजाई जाएगी मेरी क़ब्र पर
सरहदें ही तो है रहने दो इनको दरमियाँ।