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Drama

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क़ाबुलीवाला याद है ?

क़ाबुलीवाला याद है ?

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वो मेरी बचपन की यादों का बड़ा अहम् हिस्सा है, 

ना भूल पाउँगा वो क़िस्सा है, बात ये भी है।


मैं मिला नहीं कभी पढ़ा नहीं, पर सुना है

एक बड़ी सी कद काठी में वो दिल मोम होता था।


वो काबुल से रेगिस्तान से मीठे मेवे लाता था

एक बच्ची को वो मेवे नहीं अपनी भावनाए खिलता था।


मीलों दूर रह कर भी वो उसी मे अपनी ज़ीनत पाता था

वो आदमी सूखी राहों पर दिल नम रखता था।


तभी तो कहाँ उसके मेवे सा आज कहीं स्वाद है

क़ाबुलीवाला याद है ? 


वो क़िस्सा अफ़ग़ान का टैगोर था भा गया,

ना जाने क्यों मेरी रूह में समा गया।


रिश्ता खून से नहीं भावनाओं से

जुड़ता है वो ये मुझे बता गया।

 

वो डरावना सा दिखने वाला सीधा सा आदमी

मुझे बचपन में ही भावनाओं का रिश्ता सिखा गया।


ऐ मेरे प्यारे वतन का गीत याद है, 

वो टैगोर की कलम से काबुलीवाले की फ़रयाद है।

क़ाबुलीवाला याद है ? 


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