सप्त गुण अपनाओ जीवन सुखी बनाओ
सप्त गुण अपनाओ जीवन सुखी बनाओ


सबकी आंखों में उदासी का बादल नजर आता
आजकल हर चेहरे को मैं सहमा हुआ सा पाता
कौन से ग़म की हवा लगी हुई है इस जमाने को
किसी के पास नहीं मुस्काता चेहरा दिखाने को
सच्ची खुशी की चिड़िया का घरौंदा उजड़ गया
इसीलिए लोगों का मिज़ाज पूरा ही बिगड़ गया
हर एक दिल में छुपा है ग़म की वजह का राज
नोच नोच कर सबको खाता बनकर कोई बाज
दुनिया का शोर छोड़कर एकान्त को अपनाओ
बहिर्मुखता से निकल कर अन्तर्मुखी बन जाओ
सबको भुलाकर खुद से कर लो अपनी पहचान
मिल जाएगा हर ग़म का तुम्हें असली समाधान
इस तन के तुम संचालक चैतन्य शक्ति आत्मा
तुम हो सात गुणों के पुंज समझाते हैं परमात्मा
इन्हीं सात गुणों का जब बिगड़ जाता सन्तुलन
जीवन में दुख अशांति का तभी होता आगमन
परमात्मा को याद करके सप्त गुण अपनाओ
दुख अशांति का ये कारण जड़ से तुम मिटाओ
ज्ञान, शांति, पवित्रता, प्रेम, सुख, शक्ति, आनन्द
इन सबको अपना कर ही तुम पाओगे परमानन्द
सर्व गुणों का सन्तुलन जीवन में फिर से लाओ
अपने जीवन को सुख शांति से भरपूर बनाओ!