सपने को पाती मंजिल
सपने को पाती मंजिल
एक सपना देखता हूं मैं भी
जबकि इस दुनिया की नजर में
कोई खास हैसियत नहीं है मेरी
जिंदगी में कुछ कर गुजरना
चाहता हूं
अभी तो एक चालक हूं
एक चार पहिया वाहन का
लेकिन इसी सफर पर
आगे बढ़ना चाहता हूं
कुछ हासिल करना चाहता हूं
अपने सपनों को साकार
करना चाहता हूं
उन्हें कोई सुंदर आकार
प्रदान करना चाहता हूं
कभी कभी
महसूस होता है मुझे कि
मैं अकेला हूं
इस सफर पर
कोई साथ नहीं मेरे
सिवाय मेरे सपने के और
मेरे हौसले के
डगमगाते नहीं कभी कदम मेरे
चाहे डगमगा जाये मेरी
गाड़ी और
धीमी पड़ जाये
बीच रास्ते में
कभी कभार इसकी गति
इसकी रफ्तार
जितना सफर
तय होता जाता है
मुझे मेरे सपने और
मंजिल के उतना ही करीब
पहुंचाता है
भीतर से एक प्रसन्नचित्त और
सुखी इंसान हूं मैं क्योंकि
दिन रात कर रहा
एकाग्रता से
पूर्ण मनोयोग से
फोकस से
बस अपने सपने पर काम
इस सफर में
रास्ते में
कोई भी बाधा आ रही
मैं सबको हंसते हंसते
पार कर रहा
मैं राही हूं
प्यार भरा
प्यार की मंजिल को
पाने का एक सपना देखता
आंख खुली हो या बंद
मैं बस अपने सपने को
साकार होने का ही
सपना देखता
मेरा पूरा ध्यान बस
मेरी मंजिल की तरफ है
मुझे बीच रास्ते कहीं नहीं
रुकना
बस आगे बढ़ते जाना है
इधर उधर
आजू बाजू देखकर
व्यर्थ अपना समय नहीं
गंवाना है
जीते जी अपने सुंदर सपने की
मंजिल को पाना है
एक मामूली टैक्सी ड्राइवर से
एक सफल रेसर बनकर तो
दुनिया को दिखाना है
किसी को नहीं पछाड़ना़ है
किसी को नहीं हराना है
किसी को नहीं सताना है
किसी को नहीं रुलाना है
किसी से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं
अपने लक्ष्य को हासिल करना है
अपने सपने को पाती
मंजिल की तरफ
दौड़ लगाती जिंदगी को तो
जीतकर ही दिखाना है।