मां
मां
मां शब्द के उच्चारण मात्र से
मिटते हैं मन के सभी क्लेश
तन और मन में संचरित हो
शक्ति सीे कुछ खास विशेष
युगों युगों से ऋषि औ मुनि
करते रहे मां महिमा का गान
दो वर्षों के बीच हुआ मुझे भी
उसकी वास्तविकता का भान
जब मां उपस्थित रही भौतिक
रूप से हम परिजनों के मध्य
तब तक हमें महसूस न हुआ
किसी अभाव का कोई तत्व
उनकी उपस्थिति बचाती रही
हम सबको बनके ढाल विशेष
लिहाजा हम सबको झेलनी नहीं
पड़ी प्रतिकूलता कहीं विशेष
उनकी स्नेह की छांव बचाती
रही सदा हमें कदम दर कदम
उतार चढ़ाव की दशाओं में भी
कहीं लड़खडाए नहीं कभी कदम
मां के रहते गगन पर रहा सदा
ही हम सबका आत्म स्वाभिमान
सचमुच ईश्वर ने हम सबको दिया
था मां के रूप में सच्चा वरदान।