सफर ज़िन्दगी का....
सफर ज़िन्दगी का....
ज़िन्दगी की सफर मे सब कुछ मिलना आसान नहीं होता
अगर मिल जाता तो संभाल के रखना आसान नहीं होता
कभी रुकना नहीं
कभी झुकना नहीं
फिर हर मुस्किले आसान हो जाता
सफर ज़िन्दगी का चलते रहेता
समय को अपनी बस मे करना कभी आसान नहीं होता
अगर वो आसान होता तो उसके साथ चलना नहीं होता
कभी छोड़ना नहीं
कभी तोडना नहीं
साथ अपनों का, फिर नहीं मिलता
सफर ज़िन्दगी का अधूरा रहेता
सपनो का अपनी कोई सीमा कोई बन्धन कभी नहीं होता
सपने तो अपने होते उसे तो भूलना आसान नहीं होता
कभी भूलना नहीं
कभी तोडना नहीं
दिल किसीका, वो तो जोड़ा नहीं जाता
सफर ज़िन्दगी का सवाल पूछता
मनकी ये आँगन जैसे कोई कोरा कागज़ लिखने को होता
लिखना तो खुदको होता,कोई और कुछ लिख नहीं सकता
कभी डरना नहीं
कभी मारना नहीं
सोच अपना, उसे शोने नहीं देता
सफर ज़िन्दगी का कभी ना रुकता
जितने की अपनी जिद कभी नहीं छोड़ना, दिल तुट जाता
हारने की अलग वजे होते कभी समझने तो नहीं आता
कभी हारना नहीं
कभी थकना नहीं
सोच अपनी तब बदल ही जाता
सफर ज़िन्दगी का पूरी नहीं होता।