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Meera Ramnivas

Inspirational

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Meera Ramnivas

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सोमनाथ की कथा

सोमनाथ की कथा

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सोमनाथ की कथा पुरातन है,

किंतु आज भी नूतन है।

बुजुर्गो के कालजयी वचन

अति बुरी होती है जैसे कथन

रुप,चाह, लाड़ की अति बुरी होती है

अति कोई भी हो मुसीबत बन जाती है

रूप की अति सीता को भारी पड़ी

चाह की अति चांद को भारी पड़ी

चांद पत्नी रोहिणी से अति प्यार करता था,

उत्तरा, चित्रा,भरणि को ठीक न लगता था ।

एक बेटी से प्यार अन्यों का तिरस्कार,

ससुर दक्ष ने चांद को समझाया बार बार।

चांद था बेकसूर था दिल के हाथों मजबूर ,

दक्ष ने आंखें तरेरी बना गुस्से में मगरुर।

चांद को कठोर दंड दिया,

तन नष्ट होने का श्राप दिया। ,

चांदनी रातों में चांद सुलगने लगा,

दीवाना यहां वहां भटकने लगा।

सभी गणमान्यों से गुहार लगाई,

ब्रह्मा ने आखिर उसे राह सुझाई।

प्रभास जाओ,शिव का आराधन करो,

जप तप भक्ति से शिव को प्रसन्न करो।

शिव दयालु हैं आशुतोष हैं,

हरते भक्तों के परितोष हैं।

शिव स्वयं एक प्रेम पुजारी हैं,

हर जन्म पार्वती पर बलिहारी हैं।

चांद चल पड़ा आशा लिए,

अपनी श्रापित आभा लिए।

प्रभास में, चांद ने धूनी रमा दी,

ओम नमः शिवाय की रट लगा दी।

धरा से गगन तक नाद गूंजने लगा,

भक्त भाव कैलाश पर पहुंचने लगा।

अंततः शिव प्रसन्न हुए,

चांद को कुछ वर दिए।

तुम पंद्रह दिन घटोगे,

तुम पंद्रह दिन बढ़ोगे।

कृष्ण पक्ष होगा,

शुक्ल पक्ष होगा।

अमावस होगी पूनम होगी,

तुम्हारी हर अदा निराली होगी।

तुम्हारा भक्तिस्थल तुम्हारे 

सोम नाम से जाना जायेगा

प्रभास में स्थित मेरा लिंगरुप

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कहायेगा।।

      



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