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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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सोच समझकर कदम उठायेंगे

सोच समझकर कदम उठायेंगे

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सोच समझकर कदम उठाएं, भली-भांति लें सोच विचार

करी शीघ्रता हुआ हादसा, ये हुआ "आ बैल मुझको मार"।


करें मित्रता जग में सबसे, समूल शत्रुता भाव मिटा दें

दूरी दिलों में कभी नहीं हो, इस दूरी को शीघ्र मिटा दें।

जांच-परख मित्रता से पहले, इसमें प्रर्याप्त समय लगा लें

सम हो प्रकृति तुम्हारे जैसी, अपने ही जैसा हो व्यवहार ।

सोच समझ कर कदम उठाएं.........।


दुनिया ये चालाक बहुत है, भोले बनकर कभी न रहना

भोले बनोगे फँस जाओगे, हानि उठाकर खोओगे चैना।

हँसेगी दुनिया तड़पोगे तुम, तड़पे ज्यों पिंजरे में मैना

मदद न देकर कसेंगे ताना,समय रहे जो न चेते यार।

सोच समझकर कदम उठाएं..।


भले ही सुझाव जगत से लेना ,निर्णय लेकिन खुद सोच के लेना

सोच समझकर करना फैसले, भुगतना तुम्हें जो किया लेना देना।

 करेगी हलाल ये ज़ालिम दुनिया,भोथरा चाकू भी करे ना पैना

तेरी चीखों से आनंद ये लेगी, नाटक ही समझेगी तेरा आचार।

सोच समझकर कदम उठाएं..।

  


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