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Piyush Goel

Abstract

4.5  

Piyush Goel

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कलियुग की सती

कलियुग की सती

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आओ आज बात करे नारी के स्वाभिमान की

त्रेता की नहीं , कलियुग की सीता के अपमान की

पापी लोगों ने जिसपर महापाप करने का लांछन लगाया

समाज की अदालत में अग्नि परीक्षा हेतु कटघरे में बुलाया


समाज की अदालत में नारी के सत पर प्रश्न खड़ा हुआ

वो व्यक्ति लगा रहा लांछन , जिसका जमीर खुद धरती के नीचे गढ़ा हुआ

अपनी पवित्रता सिद्ध कर तू , यदि तेरे मन में खोट नहीं

दे दे अग्नि परीक्षा तू हमें , साबित कर दे तेरे स्वाभिमान पर चोट नहीं


सुन समाज के प्रश्नों को , उस सती ने अपने मन का बंधन तोड़ दिया

अब तक जो ठान रखा था मौन , पल में उसको छोड़ दिया

पार्वती का रूप त्याग कर , महाकाली का रूप धार लिया

और समाज के ठेकेदारों पर अपने कड़े वचनों से प्रहार किया


मेरे सत पर प्रश्न उठाने वालों , अपने सत का प्रमाण दो तुम

धर्मराज की कुर्सी पर कैसे बैठे , साबित करो देव हो या हैवान हो तुम

तुम मेरे सत का निर्णय करो , यह अधिकार तुम्हें दिया किसने

मेरे धर्म पर लांछन लगा यह आहाकार किया किसने


मेरे सत पर प्रश्न खड़ा कर रहे , क्या खुद सत के नियमों को मानते हो ?

मेरे धर्म को शर्मसार कर रहे , क्या खुद धर्म के नियमों को जानते हो ?

मेरी पवित्रता परखने से पहले , अपनी पवित्रता को तुम सिद्ध करो ।

मेरी परीक्षा लेने से पहले , खुद यह अग्निपरीक्षा उत्तीर्ण करो ।


मेरी पावनता नापने से पहले , अपनी पावनता को नापो तुम

मुझपर प्रश्न लगाने से पहले , अपने गिरेबान में जरा झांको तुम

अगर मन में तुम्हारे मैल न दिखे , तो मुझे बताना तुम

अगर खुद पवित्र हो तभी मेरी पवित्रता पर प्रश्न लगाना तुम


यह न सोचना कलियुग की सती चुप रह सब कुछ सहेगी

याद रहे यह खुद दुर्गा है , यह रक्षा को माधव से नहीं कहेगी

पवित्रता पर प्रश्न लगाकर तुम बहुत पछताओगे

अग्नि परीक्षा होगी तुम्हारी , सब के सब मारे जाओगे


जब जब समाज के ठेकेदार ऐसे प्रश्न उठाएंगे

नारी के शब्दों से मुंह की खाएंगे

वो कैसे सत पर प्रश्न उठा सकते जिनकी खुद की कोई औकात नहीं

वो कैसे पवित्रता का पाठ किसी को पढ़ा सकते , जिन्हें खुद धर्म का ज्ञान नहीं



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