संताप
संताप
संताप जीवन का एक कठिन सत्य है
कितना भी चाहो, कितना भी लड़ो कितना भी गिड़गिड़ाओ
साया की तरह हमेशा रहेगा हमारे साथ,
लेकिन ये भी तो सच है जहां साया है वहां रोशनी भी है,
माना कि दुःख दर्दनायक होता है
सब कुछ सूना सूना कर देता है
ना मिले चैन ना मिले जोश
कभी कबार तो जीने की इच्छा ही खत्म हो जाती है,
लेकिन ये भी तो सोचो बिना बारिश के
हरियाली या फूल कैसे झूम उठे ?
तीव्र गर्मी में तो सिर्फ ये बारिश ही राहत दिलाती है,
संताप आये तो खुशियां भी दूर नहीं
जैसे चांद के पीछे सूरज,
चाहे कष्ट हो या खुशियां सब तो है एक माया
दोनों ही है अस्थाई और सामयिक!
हम अँधेरे से डर के इतने देर तक उससे घुटते हैं
कि वो लगे बेहद, प्यार से भी प्यारा!
संताप से क्या डरना? क्यों उसके जाल में पड़ना?
फूल तो रोज़ मुरझाते है फिर भी खिलखिलाये रोज़ सुबह
आस्था, आशा और विश्वास से बंधी हुयी डोर कभी नहीं टूटती है
संताप तो सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है जीवन का।