संस्कृति-चरित्र निर्माण न भूले
संस्कृति-चरित्र निर्माण न भूले
हर दिल की होती है यह चाहत ,
इतना हम उठें गगन ही छू लें।
परिवर्तन होता रहता अनवरत,
विकास हेतु बदलाव न भूलें।
विकास के हित बदलाव दौड़ में,
संस्कृति -चरित्र निर्माण न भूलें।
हर क्षण है समय बदलता रहता ,
समय कभी न एक सा रहता।
रहता है ये शांत न है कुछ कहता,
हम निज आत्मा-विवेक न भूलें।
विकास के हित बदलाव दौड़ में
संस्कृति- चरित्र निर्माण न भूलें।
विकास यात्रा का कोई छोर नहीं,
विवेक ही नियंत्रण की डोर सही।
सतत् सत्पथ पर रहें हम बढ़ते,
पर प्रभु को हम कभी न भूलें।
विकास के हित बदलाव दौड़ में
संस्कृति-चरित्र निर्माण न भूलें।
किसी से किसी की कोई होड़ नहीं,
संभल न सकें ऐसा कोई मोड़ नहीं।
धीरज-संयम से निर्णय लेवें सदा,
और हम मानवता को कभी न भूलें।
विकास के हित बदलाव दौड़ में
संस्कृति-चरित्र निर्माण न भूलें।
