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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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संसारमय हो गये हैं

संसारमय हो गये हैं

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संसारमय हो गये हैं परमात्मा

कितने अच्छे लग रहे हैं

विचारों की दुनिया में भी

और व्यवहार की दुनिया में भी।


चाहे सरकार हो

चाहे विपक्ष हो

चाहे किसान भगवान का

चलता हुआ आंदोलन हो

सब जगह

निर्विकार और निष्काम भाव से

सक्रिय हैं


लोग कह रहे हैं

भारत बदल रहा है

हम कह रहे हैं

भगवान बदल रहे हैं

मंदिर का अपना

हमारा बनाया हुआ ठिकाना छोड़कर

संसार में

हमारे साथ साथ भटक रहे हैं।


चलो देख तो लें

भटकते हुये भगवान को

अपने बीच

अपनी बात में

अपने व्यवहार में

सचमुच सृष्टि कर्ता

अपनी सृष्टि में

दृश्यमान है।


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