संघर्षरत
संघर्षरत
ज़िन्दगी में ये परिपक्वता नित नए संघर्ष से आती है,
संघर्षपूर्व की ख़ामोशी ही एक दिन शोर मचाती है!
गुरबत में कभी-कभी दिली अमीरी सामने आती है,
ऐसे अंधेरों के बाद ही तो देखो नवीन भोर आती है!
प्रकाश का वास जीवन में ये अँधियारा दूर करता है,
प्रकाश की चाह रखनेवाला क्यूँ अँधियारे से डरता है?
निराशा की रात लम्बी नहीं हैं, कभी न कभी छँटेगी,
हताश न हो, हाथ में मुश्किल से जीवन-डोर आती है!
आगे बढ़ने का मन रख और रुकने की तू चाह न रख,
मन में संचार कर उत्साह का, मन में हतोत्साह न रख!
इस समय की नदी में शांत प्रवाह भी है और भंवर भी,
इस समय-सरिता की कहीं तो ये अंतिम छोर आती है!
दुखों से सौदा किया तो सुखों का हमको ये हार मिला,
सुख जो बीत गए तो फिर दुखों का हमें त्यौहार मिला!
सुख की छाया तो फिर यूँही ढ़लते-ढ़लते ढल जाती है,
दुःख की आँधी चलती है तो जीवन में पुरज़ोर आती है!