"समय पर एकता की विजय"
"समय पर एकता की विजय"
विचलित हो चला है मन,
अब बंद दरवाज़े में,
उड़ना चाहता है अब,
खुले आकाश कि इस चादर में।
इम्तिहान कि घड़ी है,
हर तरफ़ संसार में,
जीतना चाहता है हर कोई,
ले के मशाल हाथ में।
इस बार खुद नहीं है लड़खड़ाना,
इस समय के चक्र को है घुमाना,
करके अपने मन को मज़बूत,
इस कठिन समय को
अपनी एकता का बल है दिखाना।
कुछ समय की और है बात,
समझ सकते है सबके जज़्बात,
आँखों में भर के उम्मीद की किरण,
अब बस खुद को विजय की ओर
है ले के जाना।