STORYMIRROR

Shatakshi Sarswat

Abstract

4  

Shatakshi Sarswat

Abstract

बाबा ! आओ न

बाबा ! आओ न

1 min
283

बाबा आओ न,

अपनी एक झलक दिखाओं न,

मुझको प्यार से बुलाओ न,

फिर गले से लगाओ न।

बाबा आओ न,

एक बार फिर से मेरी बातों को

बिन कहे समझ जाओ न,

इन आँसुओ को गिरने से बचाओ न,

अपना हाथ मुझको थमाओ न।

बाबा आओ न,

सपने में ही सही,

पर मुझसे आके एक बार बतलाओ न।

बाबा ! आओ न।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract