STORYMIRROR

Shweta Chaturvedi

Drama

2  

Shweta Chaturvedi

Drama

समय की बेड़ियाँ

समय की बेड़ियाँ

1 min
205

तुम मुफलिसी की ज़ुबान में 

बोलना छोड़ दो


सिल सिल के पाबंद 

उधेड़ना छोड़ दो


समय की ज़ालिम बेड़ियों में 

बंधें हो हमनवॉ


अख़बार की सुर्ख़ियों में 

ज़िन्दगी को उड़ेलना छोड़ दो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama