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Rochana Singh

Abstract

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Rochana Singh

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समय कभी एक सा नहीं रहता

समय कभी एक सा नहीं रहता

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जो ना देते थे कभी जवाब,

उनके सलाम आने लगे हैं।


कांच के टुकड़े-टुकड़े कर,

उसे जोड़ने के कुछ लोग


क्या खूब वहम पालने लगे हैं।


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