मोहब्बत आफ़त या इबादत?
मोहब्बत आफ़त या इबादत?
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ऐसा नहीं है कि अब तुमसे मोहब्बत नहीं है,
बस फिर से टूट कर चाहने की हिम्मत नहीं है।
अकेले होकर भी आस-पास तुम्हें ही महसूस करती हूं,
पता है, तुम साथ नहीं हो किन्तु तुम्हारे बिना
जीने की मुझे अभी आदत नहीं है।
नसीब से ज्यादा भरोसा तुम पर किया,
नसीब तो ज्यादा नहीं बदला, तुम बदल गये
तुम्हारे बाद किसी और को चाहूं,
मुझे ये हसरत नहीं है।
ऐसा नहीं है कि तुम्हारी याद मुझे आती नहीं है,
क़ैद है सीने में दर्द, लेकिन रो कर अपना दर्द बताऊँ
अब ये आदत नहीं है।