वक्त कहां एक सा रहता है।
वक्त कहां एक सा रहता है।

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उम्र होती है हर चीज़ की,
होता है इक-निजा़म
आता नहीं लौटकर
छूट जाता है जो मुक़ाम।
जो जाग जाते हम
वक्त पर,
तो क्यों बनती
ये खुशनुमा सी जिन्दगी
एक इल्जाम।