समय एक नदी है
समय एक नदी है
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चिड़िया अगर दूर तक उड़ जाये तो
वह वापस लौट सकती है
हिरन अगर जंगल में भटक जाये
तो वह वापस घर पहुँच सकता है
आदमी अगर दिशा भूल जाये
तो वह अपने कदम पीछे खींच सकता है
लेकिन नदी कभी वापस नहीं लौटती
वह बहती जाती है
बहती जाती है
और बहती जाती है
समय एक नदी है
नदी का बहना दीखता है
किंतु समय का बहना दीखता नहीं
वह महसूस होता है
नदी जब उफान पर होती है
तो वह बहा ले जाती है
सब कुछ अपने साथ।
समय भी बहा ले जाता है अपने साथ
अनगिनत संस्कृतियाँ, सभ्यताएँ,
इंसान, भावनाएँ, संवेदनाएँ
और भी वह सब जो कुछ संसार में मौजूद है
नदी और समय दोनों की आदतें एक-सी हैं।