Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Abstract

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Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

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समाज में नारी

समाज में नारी

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खुशबू है फैलाती, समाज में नारी

मुस्कान है दिलाती, मैं जाऊँ बलिहारी।

क्या-क्या नहीं सहती, समाज में नारी

फिर भी नहीं सहमती, समाज में नारी।


ममता की तू है क्यारी,

सबसे ज़्यादा तू संस्कारी।

कभी न थकती, चलती रहती,

सबसे सबल है समाज में नारी।


नारी से ही हरी-भरी है,

सबके आँगन की फुलवारी।

वैसे तो है कोमल प्यारी,

पर वक़्त पड़े तो बन जाती है,

चंडी-काली ,समाज में नारी।


बेटी बनकर जन्म लेती,

बहू बनकर निखरती नारी।

फिर बच्चे को जन्म देकर,

माँ कहलाती समाज में नारी।


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