सलाम मेरे देश के वीरों
सलाम मेरे देश के वीरों
आँखों में कुछ सपने पिरोकर
भरकर मुट्ठी में आशाएं
दिल में तूफां मचले
कुछ कर जाएं
कुछ कर जाएं
सूरज जैसा तेज़ नहीं
हर पल जलता बुझता हूँ मैं
अपनी राहें स्वयं रोशन कर के
फैलादी दिल सुगालता जाएं
कोई मुझे रोक सकता नहीं
मैं उस माटी का फूल नहीं
जिसे किस्मत ने सींचा है
मैं उस रेगिस्तान की धूल हूँ
जिसे किसी का खौफ नहीं
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ
न मिटने वाली कोई रेखा
मैं कोई शीशा नहीं जो टूट जाएं
मैं वप कदम नहीं जो थम जाएं
हर जुर्म को सहने की ताकत है
तानों के भी शोर में रहकर
सच्चाई से लड़ने की आदत है
मैं उस ममता की भट्टी में तपा हूँ
मेरा हौसला सागर से भी गहरा है
तुम जितने पत्थर फेंकोगे
चुन चुन कर अपनी जेब में भरकर
आगे बढ़ता रहूँगा मैं
आओ माटी की सुगंध बिखेरते हुए
तुम मुझे कब तक रोकोगे
तुम मिझे कब तक रोकोगे