सखी सावन आयो
सखी सावन आयो
गर्मी को है खूब झेला!
बादलों का लगा मेला,
ऋतु हुआ अलबेला,
सखी सावन आयो।
धरती भी सज गई,
कुसुम सी खिल गई।
कोकिल भी कूक उठी।
सखी सावन आयो।
नेह ने रंग बिखेरा,
प्रीत का नव सवेरा,
खिला गोरी का चेहरा।
सखी सावन आयो।
छायी जब काली घटा।
इंद्रधनुषी है छटा!
बादल दुखों का हटा।
सखी सावन आयो।
सजनी करे श्रृंगार!
दिल में प्रीत अपार!
हरियाली का त्योहार।
सखी सावन आयो।
जीवन का ग़म भूला
मनवा मांगे हिंडोला,
बागों में लगा दो झूला।
सखी सावन आयो।
प्रीत की लगी अगन।
हटाया जो चिलमन।
बढ़ा रही धड़कन,
सखी सावन आयो।