सखा
सखा
पांच पतियों की पत्नी नहीं
पांचाली मेरा नाम नहीं
फिर भी जाने किस लिए
मेरे दर्द का अंत नहीं।
पति हैं जो सतपरुष भी हैं
सुख दुःख तो सब उन्हीं से है
फिर भी जाने किस लिए
दिल में दर्द रहते हैं ।
दर्द को बांटने वाले कई
सबकुछ मेरे पास नहीं
फिर भी जाने किस लिए
दिल के करीब है और कोई।
यह कैसा रिश्ता हमारा है ?
सखी जो कहकर पुकारा है
अंजान होकर भी किस लिए
वह ज़िंदगी का सहारा है ?
