सकारात्मक दृष्टिकोण संग प्रवास
सकारात्मक दृष्टिकोण संग प्रवास
विविध लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु,
करते रहें हैं बहु लोग प्रवास।
सकारात्मक हो स्थान बदलना,
हरदम ही हो हम सबका प्रयास।
सम्पूर्ण वसुंधरा ही एक कुटुम्ब है,
खुले गगन में भाती उन्मुक्त उड़ान।
खग विचरण करे दिवस भर पूरा,
संध्या में निज नीड़ है प्रिय स्थान।
स्वर्णमयी लंका भी नहीं भाती है,
प्रभु राम को लगती अवध ही खास।
सकारात्मक हो स्थान बदलना,
हरदम ही हो हम सबका प्रयास।
देश-जगत के कोने-कोने में हम जाकर,
सत्कार्यों से बढ़ा रहे भारत मॉं की शान।
हैं गये जहॉं से या जहॉं पर हैं वे पहुॅंचे,
वहाॅं खिला रहे हैं फूल मिटा कर शूल।
तव सकारात्मकता के अनुपम भावों को,
तुम्हें सराहते देव कह आर्य पुत्र शावास।
सकारात्मक हो स्थान बदलना,
हरदम ही हो हम सबका प्रयास।
मन ललचाती मधुरिम स्मृतियॉं,
फिर से जन्मभूमि के दर्शन को।
फिर करें भेंट वहॉं प्रियजनों से,
वहॉं की उन्नति भाती हर मन को।
जन्मभूमि की कर्मभूमि पर चर्चा,
है अविस्मरणीय सुखद एहसास।
सकारात्मक हो स्थान बदलना,
हरदम ही हो हम सबका प्रयास।
विविध लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु,
करते रहें हैं बहु लोग प्रवास।
सकारात्मक हो स्थान बदलना,
हरदम ही हो हम सबका प्रयास।
