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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Romance Classics Fantasy

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Romance Classics Fantasy

सजती सँवरती

सजती सँवरती

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फ़िल्म ---बन्धन

बोल --बिना बदराके बिजुरिया कैसे 

सजती संवरति चलती मचलती निकलती आँखो के काजल कि तिरछी नजरिया सावन कि बिजुरिया जैसे चमके।।           सावन कि विजुरिया जैसे चमके, सावन कि विजुरिया जैसे चमके !!            

ओठों पे लाली कानो कि बाली गालों पे जुल्फै गिरती बिखरती उलझती घटाए सावन कि गुजारिया जैसे दमके सावन कि गुजारिया जैसे दमके, सावन कि गुजारिया जैसे दमके !!

हवाओ कि खुश्बू मौसम कि बहार कशमकश कशिश दिल कि फुहार रिम झिम सावन बादरिया जैसे वर्षे रिम झिम सावन बादरिया जैसे वर्षे !! 

उमड़ घूमड़ चंचल चितवन हिरनी चहके बेला गुलाब कोमल कली महके सावन कि कज़रिया जैसे कुहूके, सावन कि कज़रिया जैसे कुहूके, सावन कि कज़रिया जैसे कुहूके !! 

मधुर मुस्कान दिवानों कि जान चहतो कि चाहत आशा अरमान मेला कि मान गाँव गली नगर से जब निकले, सावन कि नदी प्यासी जैसे लागे।। सावन कि नदी प्यासी जैसे लागे, सावन कि नदी प्यासी जैसे लागे, सावन कि नदी प्यासी जैसे लागे !

भीगा बदन सांसो कि गर्मी संगे मर मर सा गोरा बदन चलत मुसाफिर आह भरे फिसलन लागे।    

जलती कली पिया से मिलन लागे, जलती कली पीया से मिलन लागे, जलती कली पीया से मिलन लागे !


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