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AKIB JAVED

Tragedy

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AKIB JAVED

Tragedy

सियासत की मेहरबानी

सियासत की मेहरबानी

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सियासत भी हम पर बहुत एहसान करती है

हमारी आवाज़ छीन लेती है चीज़े दान करती है

आवाम की आँखों में यूँ पड़ जाता है जब ताला,

सियासत की अंधभक्ति में अँधा काम करती है।।


वो देखने भी नहीं देता इन्हें सुनने भी नहीं देता

दिमाग से हो गए पैदल वो चलने भी नहीं देता

दिखा के दिवस्वप्न भी खूब लोगों को सपनों में

छीन कर रोज़गार, रोज़गार करने भी नहीं देता।


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