सिर्फ नाम ही है जो गुम नहीं हो रहा
सिर्फ नाम ही है जो गुम नहीं हो रहा
कृष्ण ने कहा कर्त्तव्य से कर्म करो,
हमने कर्मों को कमाई से तौल दिया।
राम ने कहा सत्य-विनम्र बोलो,
हमने बुराई को पहले बोला।
वेद-शास्त्रों में लिखे हैं मानव-मूल्य,
हमने मानवों की कीमत तय की।
ज़रा सोचें कि क्या यह झूठ है कि,
ओढ़ लेते हैं हम, होलिका की चादर, ईमानदारी की आग से बचने को।
लगा लेते हैं हम रावण के कहकहे, देख के दुःखी किसी को।
कंस की तरह ही खुदको बचाने के लिए, कुर्बान कर देते हैं अपने ही भाई-बहनों को।
और जब पढ़ते ही नहीं वेद / शास्त्र-समझेंगे क्या खाक!
लेकिन यह भी तो सच है कि,
रावण-कंस जैसों को ही आत्मसात कर,
हम लड़ ज़रूर लेते हैं,
अपने राम के लिए -
अपने कृष्ण के लिए -
अपने वेदों के लिए।
और सिर्फ उनके नाम के सरंक्षण के लिए।
यह कहकर कि वे अभिमान के विरोध में लड़े।