Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

बना बड़ा या बिगड़ा

बना बड़ा या बिगड़ा

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हर साल जलता है रावण।

बचपन में अखबार में पढ़ते थे,

और आज कल सोशल मीडिया पर कि,

जला दो अपने अंदर का रावण।

यह भी पढ़ते आए कि

होती है सत्य की विजय।

और यह भी कि

बुराई का होता है अंत ऐसे ही - रावण की तरह।


हालांकि,

यह सब कभी देखा नहीं।

झूठ बोलकर ही होती है हासिल जीत अब।

किस घर में भाई-भाई लड़ते नहीं।

कौन छोड़ कर जाता है पुरखों की जायदाद।

एक पत्नी व्रत की बजाय ले रखा है पतन व्रत।


मर्यादाएं याद कहां से हों?


हम कहते रहते हैं रावण-रावण।

जलाओ रावण।

कहाँ कहते हैं कि

बनो राम।



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