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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"हार मत मान"

"हार मत मान"

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तू हार मत मान चल सीना तान

गिरा तो क्या

उठ खड़ा हो

तू है, नौजवान

एक ख्वाब टूटा

क्यों फिर रूठा

तू नहीं कोई

आईना नादान

तू हार मत मान

कर्म कर, भाग्यवान

कैसे न मिले, मोती

दरिया के तूफान

तू चंद्र नहीं, सूर्य है

स्व प्रकाश शौर्य है

जला दीप, वीरवान

खुद बोले, दिवाकर

वाह रे वाह इंसान

क्या खूब रोशन,

तेरा स्वाभिमान

पोंछ अपने आंसू

न कर गम, बखान

हर शख्स यहां,

साखी है, बेईमान

बनाएगा, मजाक

करेगा, परिहास

तू बन केवल

खुद का सहारा

कर स्व-सम्मान

तू हार मत मान

तू है, जिंदा इंसान

जो बेचते है, यहां

अपना ईमान

वो इंसान नहीं है,

वो है, मुर्दा पहचान

तू भले कम कमा

स्वाभिमान न गंवा

कर तू लेखनी से,

ऐसा बाण संधान

बोल उठे बेजुबान

झूठ की यहां पर,

निकल जाये जान

तू हार मत मान

सच को खुदा जान

सत्कर्म ही यहां है,

एक जिंदा भगवान

कर्म ऐसा, महान

झुक जाये जमीं

झुक जाये आसमान

कर्म को दे, वो स्थान

बन जाये ध्रुव तारा,

ओ भोले इंसान

लोग तुझसे करे

सही दिशा पहचान

तू हार मत मान

तू है, पुरुष धैर्यवान।



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