मैं बड़ा
मैं बड़ा
मैं नास्तिक हूं,
आस्तिक से बड़ा हूं,
मेरे विचार उच्च कोटि के हैं।
इसलिए मैं स्वतंत्र हूं,
आस्तिकता का खंडन करने के लिए,
आस्था का मखौल उड़ाने के लिए,
और,
मंदिरों में स्थित मूर्तियों को देश की बर्बादी का जिम्मेदार ठहराने के लिए भी।
देशों में लड़ाई सिर्फ भगवान के नाम पर ही होती है आखिर।
जितने भी विध्वंसक हैं, पदार्थ से लेकर मानसिकता तक,
इन्हीं भगवानों की देन है।
पागलपन की हद तक सत्संग में जाने वाले लोग,
पागलों की तरह की खुद का विनाश करते हैं।
मुझे नफरत है इन नफरती लोगों से।
क्योंकि माइनस और माइनस प्लस
होता है,
इसलिए नफरती लोगों से नफरत करने के बाद मैं,
खुद बहुत प्रेममय हूं।
विध्वंसक मूर्तियों का विध्वंस करने का अर्थ सर्जन है।
क्योंकि माइनस और माइनस प्लस होता है।
अच्छा मिसाइल, हथियार, बम किसने बनाया?
वो बात बाद में करेंगे।
अच्छा! पुराने आर्किटेक्ट्स बेहतर थे,
अच्छा! पहले के लोगों का रहन सहन अच्छा था,
अच्छा! पहले की कृषि, खाना बेहतर था।
अच्छा! योग तुम्हारे पूर्वजों ने दिया।
अच्छा...अच्छा...अच्छा।
तुम आस्तिक यही हास्यास्पद बातें ही करते हो,
इसके अलावा कुछ नहीं।
मूर्ख कहीं के।