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Manjeet Rohilla

Tragedy

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Manjeet Rohilla

Tragedy

सिर का बोझ

सिर का बोझ

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वो नन्ही सी जान थी जो थमा दी किसी और के हाथ में ये सोचकर

कि हमारे सिर का बोझ ख़तम हो जाएगा।

उसके भी कुछ ख्वाब होंगे, उसकी भी कुछ ख्वाहिश होंगी,

लेकिन सब राख कर दिए , ये सोचकर कि हमारे सिर का बोझ ख़तम हो जाएगा।

उसको क्या ख़बर थी वो इन चीजों से बेखबर थी।

ऊंची उड़ान तो वो भी करना चाहती होगी,

लेकिन पैर काट दिए ये सोचकर कि हमारे सिर का बोझ ख़तम हो जाएगा

इतनी भी क्या जल्दी थी वो बच्ची बेचारी कल की थी।

कुछ ने कहा कि बड़ी हो गई है, तो हमने भी बाल विवाह कर दिया ये सोचकर कि सिर को बोझ ख़तम हो जाएगा।



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