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saurabh manchanda

Inspirational Others

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saurabh manchanda

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सिपाही हूँ

सिपाही हूँ

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सिपाही हूँ सियासती शतरंज का मोहरा नहीं,

मैं सोच की हूँ रोशनी नीयत का कोहरा नहीं।


हूँ पर्व मैं आवाम का, नहीं मोह मुझे इनाम का,

धरा का मात्र एक कण हूँ, देश के लिये हर श्रण दूँ।


अक्स हूँ उम्मीद का, उलझन का चहरा नहीं,

मैं प्यास हूँ फुहार की तलब का सहर‍ा नहीं।


मैं उन सरहदों के हक मे नहीं,

जहाँ देश मुकम्मल मगर रिश्ते अधूरे हों।


जनत ज़मी पर है फलक मे नहीं,

हर टूटे तारे के यहीं सब ख्वाब पूरे हों।


इन्सानियत की चीख हूँ खुदगर्ज़ पहर‍ा नहीं,

मैं वक़्त का हूँ कारवाँ मंज़र सा ठहरा नहीं।


सिपाही हूँ सियासती शतरंज का मोहरा नहीं,

मैं सोच की हूँ रोशनी नीयत का कोहरा नहीं।


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