सिंग इज किंग .
सिंग इज किंग .
सिंग इज किंग
उसकी बहूँत ज्यादा जानदार ना थी शकल,
लेकिन उसके पास थी अर्थतंत्र की अकल।
सभी अमीर-गरीब की होती असमान शकल,
विश्र्व में सभी की होती कम-ज्यादा अकल।
सभी कहते थे उसे सब अर्थ का सरदार,
सभी कहते उसकी अर्थ नीती थी असरदार।
देशी खजाने का था वो असली पहरेदार,
अर्थव्यवस्था को खिचा रसातल से ऊपर।
गिरती अर्थव्यवस्था का किया था बेड़ा पार.
तेजीसे फलने-फुलने लगा था देशी व्यापार।
उसने कभी नहीं मानी थी जीवन में हार,
क्योंकि उसे भी था देश से अपार प्यार।
वो कभी नहीं बना था सपनों का सौदागर,
वो था जनताका जीता-जागता वित्तसिकंदर।
पुरे दुनिया में था व्यापारीक मंदी का दौर,
सारी दुनिया में मचा था हर तरफ हाहाकार।
देश की जी डी पी पहुंची थी निचले स्तर,
उसे सुधारने का मनमोहन मिला अवसर।
उसी सिंग ने किया था देशका बेड़ा पार,
इसलिए कहते, सिंग इज किंग अक्सर।
अरुण गोडे
मौसम कॉलोनी, नागपूर .
9890883959
