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Rekha gupta

Abstract

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Rekha gupta

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सीख

सीख

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बुरा न बोलो बुरा न देखो बुरा न सुनो भैया रे


बोल हमारे बड़े अनमोल,

इनको नाप तोल के बोल,

बुरे बोल कभी न बोल,

वाणी में मधु रस घोल ।


मानव दुनिया से चले जाते हैं,

शब्द उसके अमर हो जाते हैं,

शब्द दिल की बखिया उधेड़ते,

शब्द ही दिल के जख्मो को सहलाते।


जैसा देखोगे, और जैसा सुनोगे,

विचार मन में वैसे ही उपजेंगे ,

अच्छे विचार और अच्छा सत्संग,

जीवन को पावन,निर्मल कर देंगे।


अच्छा देखना, बोलना,और सुनना

जीवन का सही और संयत उपयोग करना,

बुराई के बीज भीतर अपने,

कभी भी अंकुरित न होने देना।


कोयल की मीठी बोली,

सबके मन को भाती है,

प्रकृति की मोहक छटा,

मन को सबके लुभाती है।


सदाचार, सुविचार,और सत्संगति से ,

जीवन पथ को सरल सुन्दर बनाना है,

गांधी जी के तीन बंदरों का है कहना,

बुरा न बोलना, बुरा न सुनना, न बुरा देखना है।


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