सिगरेट, है राक्षस।
सिगरेट, है राक्षस।
सिगरेट सेवन,
बन गया है फैशन,
इससे सस्ता नशा,
शायद है और कहां।
सबसे पहला कारण,
जब घर में होता कोई पीने वाला,
तो छोटा बच्चा होता न समझ,
वो बड़ों की उतारता नकल,
उनका सिगरेट चुराकर,
कश लगाता,
फिर धीरे-धीरे वो हर रोज़ करने लगता,
और अंत में सिगरेट पीने
वालों में महारथी बन जाता,
फिर जब भी घर के बड़े,
उसको सिगरेट लेने भेजते,
वो एक-दो चुरा लेता
और फिर उनको कशों में उड़ा देता
इस तरह एक लम्बी पारी की नींव डाल देता।
धीरे-धीरे फेफड़े खराब होने लगते,
अंत में कैंसर का रूप ले लेते,
यहां तक की कई बार गले का कैंसर भी हो जाता,
बोलना और खाना तक बंद हो जाता।
लेकिन समाजिक संस्थाएं कभी कभी आवाज उठाती,
सरकारें अधिक टैक्स लगाके ,
उनको चुप करा देतीं।
या फिर एक और हथकंडा अपनाती,
एक बड़ा सा संदेश सिगरेट
वाली ड़बी पे छिपवा देते ,
"सिगरेट पीना सेहत के लिए
हानिकारक" और बस हो गई छूट्टी।
धीरे-धीरे इसका प्रचलन,
महिलाओं में भी बढ़ रहा,
इससे समाज और गहरे कुंए में गिरे रहा।
सिगरेट बनाने वाली कंपनीयां भी खेलती खेल,
कर देती पैसों से सबकी मदद,
जिससे सब चुप रहते,
और सिगरेट बिकते रहते।
मेरी है ये राय,
हमारा है सबसे बड़ा लोकतंत्र,
हम कहलाते वैलफेयर स्टेट,
क्यों न सब नशीले पदार्थों पे,
लगाया जाता प्रतिबंध,
अगर कोई बनाता,
जाए पकड़ा,
तो मिले आजीवन कारावास,
इससे शायद कुछ फर्क पड़े,
और समाज हो बेहतर।