शुक्रिया
शुक्रिया
वो बीते हुए दिन आज भी याद आते
बीत गया पर कभी भूले नहीं जाते
कभी कोई रूठें,सब मिलके मनाते
एक दूसरे से सारे गम जो बाँटते
कभी कभी हम मज़ाक किये करते
कभी आँखों से अगर आँसू बहते
सबकी हाथ मिलके आँसू पोछते
उन दिनों को हम भी कैसे भूल जाते
शुक्रिया,आपने जो हमारे साथ होते...
फिर हम उमरों के साथ बड़े होते
पढ़ाई के साथ किताबें भी तड़पाते
तब भी मिलके उसे हम निपटते
अगर कोई कभी मानो उदास होते
सब धीरे धीरे उसे हँसाने लगते
फिर समझदारी की बात भी करते
इतने बड़े नहीं थे की सब जानते
पर हम भरपूर कोशिशें करते
कभी कामियाब होते, कभी नहीं होते
शुक्रिया, हम कभी साथ नहीं छोड़ते....
फिर समय के खेल अलग करते
सब अपने अपने सपने देखते
उसके पीछे भागते ही हम रहते
कुछ पूरे होते और कुछ नहीं होते
कभी गम कभी खुशी में फँसते जाते
अपने अपने नयी संसार बनाते
उनके पीछे सारे वक़्त लुटा देते
बच्चों की कामियाबी से आनंद भी होते
फिर सब हमसे भी दूर चले जाते
शुक्रिया, वो पुराने दिन नहीं भूलते....
हम फिर बिलकुल अकेले होजाते
वो अकेलापन हमें बहुत सताते
उसे भूलने की हम रास्ते भी धुंढ़ते
कभी कभी सोच को हम लिख डालते
कभी फिर आप को भी धुंढ़ते फिरते
उदास होकर भी तो हँसते रहते
कुछ आँसू ओठ पी जाते, नहीं दीखते
पर आँखे तो आपको ढूंढ़ते रहते
वो पुराने दिन बहुत याद तो आते
शुक्रिया, फिर आप जो हमें मिल जाते....
अब जब मिले हुई ढेर सारे बाते
इतने दिनों के बाद हुई मुलाकाते
भूल गये सब उम्र और ये हालाते
हुई ढेर पुराने कुछ अभी की बातें
मजाल है कोई हमें तो बूढा कह दे
अब हम सब वो फिर कर बैठते
हसीं मज़ाक और कुछ पुराने बाते
मानो हम सब फिर जवान हो जाते
रूठें हुए को फिर मनाने भी लगते
शुक्रिया आप जान पे जान भर देते।
