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Ajay Singla

Classics

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Ajay Singla

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श्रीमद्भागवत-३३१; विभिन्न पुराणों की श्लोक संख्या और श्रीमद भागवत की महिमा

श्रीमद्भागवत-३३१; विभिन्न पुराणों की श्लोक संख्या और श्रीमद भागवत की महिमा

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श्रीमद्भागवत-३३१; विभिन्न पुराणों की श्लोक संख्या और श्रीमद भागवत की महिमा 



सूत जी कहें, ब्रह्म, वरुण, इंद्र

रुद्र और मरूदगण दिव्य स्तुतियों से 

संलग्न रहते हैं सदा ही 

जिस परमात्मा के गुणगान में ।


ऋषि मुनि  अंग,पद,क्रम और उपनिषदों सहित 

वेदों द्वारा जिनका गान किया करते रहते 

योगीलोक ध्यान के द्वारा 

जिनका भावमय दर्शन प्राप्त करते ।


ऐसा करते रहने पर भी 

देवता, दैत्य, मनुष्य आदि 

जिनके वास्तविक स्वरूप को 

ना जान सकें कभी भी ।


उन सत्यप्रकाश परमात्मा को 

बारम्बार नमस्कार है मेरा 

अपनी माया से जिन्होंने 

अनेकों बार अलग अलग रूप धरा ।


कच्छप   रूप धारण कर पीठ पर 

मधानी की तरह मन्द्राचल घूम रहा 

मंद्राचल की नौक से खुजलाने पर 

भगवान को तनिक सुख मिला ।


सौ गए वो और श्वास की 

गति तनिक बढ़ गई उनकी 

समुंदर के जल को जो धक्का लगा 

उस समय श्वास वायु से उनकी ।


उसका  संस्कार  आज भी 

शेष है इस समुंदर में 

उस श्वास वायु के थपेड़ों से 

ज्वार और भाटा के रूप में ।


दिन भर चढ़ता, उतरता रहता समंदर 

विश्राम ना मिला अब तक उसे 

भगवान की  वही श्वास वायु 

आप लोगों की रक्षा करे ।


शौनक जी अलग अलग पुराणों की 

श्लोक संख्या और जोड़ उनका 

भागवत  का प्रतिपाद्य विषय और 

प्रयोजन भी सुनिए उनका ।


इसके ज्ञान की पद्धति तथा 

दान और पाठ आदि की महिमा 

ध्यान से श्रवण करो इसका 

ये सब मैं अब तुम्हें सुनाता ।




ब्रह्मपुराण के दस हज़ार श्लोक 

पद्म पुराण के पचपन हज़ार हैं 

विष्णु पुराण के तेइस  हज़ार और 

शिव पुराण में चौबीस   हज़ार हैं ।


श्रीमद्भागवत में अठारह हज़ार 

पच्चीस हज़ार नारद पुराण में 

मार्कण्डेय पुराण में नौ हज़ार और 

पंद्रह हज़ार चार सौ अग्नि पुराण में ।


भविष्य पुराण की श्लोक संख्या 

चौदह   हज़ार पाँच सौ है 

अठारह हज़ार ब्रह्मवैवत   पुराण में 

लिंग पुराण में ग्यारह हज़ार है ।


चौबीस हज़ार श्लोक  संख्या वराह पुराण की 

इक्कीस हज़ार एक सौ स्कंध पुराण की 

वामन पुराण के श्लोक दस हज़ार हैं 

  सत्रह हज़ार कूर्म पुराण की ।


मत्स्य पुराण चौदह हज़ार श्लोकों का 

गरुड़ पुराण उन्नीस हज़ार का 

ब्रह्माण्ड  पुराण बारह हज़ार और 

चार लाख श्लोक सब पुराणों का ।


शौनक जी, पहले पहल विष्णु ने 

अपने नाभिकमल में स्थित ब्रह्मा पर 

 करुणा कर उस पुराण को 

प्रकाशित किया, कृपा की उनपर ।


इसके आदि, मध्य और अंत में 

कथायें जो वैराग्य उत्पन्न करें 

और अमृतस्वरूप तो हैं ही 

इसमें हरि की लीला कथाएं ।


उनके सेवन से महापुरुषों को और 

देवताओं को बड़ा आनन्द मिलता 

एकमात्र वैकल्य मोक्ष 

प्रयोजन है इनके  निर्माण  का ।


इसके  दान पर  परमगति मिलती 

महाभागवत सार सब उपनिषदों का 

जो इस रस सुधा का पान करे 

किसी और पुराण में रम नहीं सकता ।


नदियों में जैसे गंगा नदी 

विष्णु जी हैं देवताओं में 

वैष्णवों में शंकर सर्वश्रेष्ठ 

श्रीमद्भागवत सभी पुराणों में ऐसे ।


सम्पूर्ण तीर्थों में काशी श्रेष्ठ है 

वैसे ही सभी पुराणों में 

इसका स्थान सबसे बड़ा 

श्रीमदभागवत सर्वथा निर्दोष ये ।


भगवान के प्यारे वैष्णव भक्त 

बड़ा ही प्रेम करते इसमें 

परमहंसों के सर्वश्रेष्ठ, अद्वितीय 

माया रहित ज्ञान का गान इसमें ।


जो श्रवण ,पढ़न, मनन करते इसका 

भगवान की भक्ति  प्राप्त हो उनको 

श्रेष्ठ प्रकाशक भागवत ज्ञान का 

मनुष्य इसको पढ़कर ही मुक्त हो ।


पहले पहल  स्वयं नारायण  ने 

ब्रह्मा जी के लिए प्रकट किया इसको 

उन्होंने ही ब्रह्मा जी के रूप में 

 उपदेश फिर  दिया नारद को ।


नारद जी ने व्यास जी को 

तदनन्तर व्यास जी ने शुकदेव जी को 

शुकदेव जी ने करुणावश फिर 

उपदेश दिया राजर्षि  परीक्षित को ।


ये भागवत परम शुद्ध है 

रहित है मायामल से 

पास नहीं फटक सकते हैं 

शोक और मृत्यु  उनके  ।



हम सब उन्हीं परमेश्वर का ध्यान करें 

उन वासुदेव को करें नमस्कार हम 

श्रीमद् भागवत का उपदेश दिया 

ब्रह्मा जी के द्वारा जिन्होंने कृपाकर ।


साथ ही हम नमस्कार हैं करते 

योगीराज ब्रह्मस्वरूप शुकदेव जी को 

ये पुराण सुनाकर जिन्होंने 

मुक्त किया परीक्षित जी को ।


हे सर्वेश्वर, आप ही एकमात्र 

स्वामी और सर्वस्व हमारे 

बार बार जन्म ग्रहण करने पर भी 

आपमें हमारी भक्ति बनी रहे ।


जिन भगवान की वाणी का संकीर्तन 

सभी पापों को सर्वथा नष्ट करे 

और जिन भगवान के चरणों में 

जब हम अपना समर्पण कर देते ।


उनके चरणों की प्रतीति सर्वदा 

सब प्रकार के दुखों को शांत करे 

उन्ही परमतत्वस्वरूप श्री हरि को 

हम सदा ही नमस्कार करें ।


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